Menu
blogid : 13985 postid : 45

सरकार ला झन कोसव…

kaushaltiwari
kaushaltiwari
  • 57 Posts
  • 6 Comments

आजकल जेती देखबे तेती एकेच ठन गोठ चलते हे। जगा जगा जनाकारी होवत हे। नान नान लईका मन ल घलो पापी मन नई छोड़त हे अऊ सरकार ह एमन ल फ़ांसी म चढातीस त बचाए म लगे हे। अऊ घटना के विरोध करईया मन ल मंत्री मन ह कुकुर कहत हे त घटना के साथ देवइया मन ल गोद मा बइठावत हे।
तभे त श्यामलाल ह कहत रीहिस घोर कलजुग आ गे हे बाबू, देख ताक के रहीबे। ते हा अब्बर गुस्सेलहा हस्। ईमान धरम ल गठिया के राख ले। ए मन त राम ल धोखा देवईया हे त तोला कब धोखा दीही तेन ला पार नई पाबे। अब्बर हिन्दू हिन्दू कहात रेहेस। लुटेरा निकल गेस। बांधा तरीया खेत खार दैइहान-गोठान कुछु नई बांचे हे।
सरकार के काम जनता के सेवा करना हे फ़ेर इंहा त धंधा करे लग गे हे। धरम-करम के त ठीकाना नई हे। धर परिवार ह त संभले नई संभलत हे त राज का संभाले सकही। तैं बुजा हिन्दु-हिन्दु करत मरत रहिथस। आदिवासी मन ह हिन्दु नो हे के सतनामी मन ह हिन्दु नो हे। सबके बारा ल बजा दे हे।
आजकल सियनहा मन के इहीच गोठ हे। ऊंखर मन तीरन कुछ कामेच नइ हे। कुछु लफड़़ा होईस सरकार के हाथ धो के पीछू पड़ जथे। कहे रहेवं न। देख वइसनेच होईस्। बताए रहेव न एमन ह खाली पइसा कमाए मा लगे हे।
अब सिअनहा मन ल कोन समझा के आश्रम म आदिवासी लइका मन संग जेन काम होए हे ओमा सरकार के कोनो गलती नइए। अब जनकारी सामने आए हे त कानून ह अपन काम करबेच करही। अउ आजकल मीडिया घलो ह तील के ताड़ बनाथे तेखर सेती त लईका मन ल लुकाए जात हे। अरे भई तुरते तुरत थोड़े फ़ांसी मा चढा दीही, लेकिन कोनो समझबे नई करय।
सियनहा मन ल त बस सरकार ल कोसे के बहाना चाही अतेक बर राज हे हर जगह किसिम किसिम के अपराध होवत हे। जम्मो डहार देखे ल पड़थे। फ़ेर घर परिवार कोती घलो त देखे ल पड़थे। फ़ेर घर परिवार कोती घलो त देखे ल पड़थे। कुछ कांही होत फ़ेर इहीच मन ह कही, ए दे घर ल नई संभाल सकत हे, अउ राज ल संभाले ल चले हे।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply